मंगलवार 2 दिसंबर 2025 - 05:53
 रोज़ाना कम होती उम्र को नज़रअंदाज़ करना

हौज़ा / अमीरुल मोमेनीन इमाम अली (अलैहिस्सलाम) ने इस रिवायत में इंसान को रोज़ाना कम होती उम्र को नज़रअंदाज़ करने से अवगत किया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, निम्नलिखित रिवायत “ग़ेरर अल हिकम” किताब से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:

قال امیر المؤمنین علیه‌ السلام:

عَجِبتُ لِمَن یَرى أَنَّهُ یُنقَصُ كُلَّ یَومٍ فِی نَفسِهِ وَ عُمُرِهِ وَ هُوَ لا یَتَأهَّبُ لِلمَوتِ!

अमीरूल मोमेनीन इमाम अली (अलैहिस्सलाम) ने फ़रमाया:

मुझे उस इंसान पर हैरानी होती है जो देखता है कि उसकी ज़िंदगी और उम्र हर दिन कम हो रही है, फिर भी वह मौत के लिए तैयार नहीं है।

ग़ेरर अल हिकम, हदीस 6253

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